tag:blogger.com,1999:blog-26528512462212551542024-03-05T15:56:38.469-08:00मानव सर्व मंगलकारी समिति जबलपुरMANAVhttp://www.blogger.com/profile/03302053912593377054noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2652851246221255154.post-26308134691536724232010-01-07T05:39:00.001-08:002010-01-08T09:18:14.166-08:00जबलपुर के कल्चुरी तीर्थ में श्री अशोक "आनंद" के "मानव मंदिर" की साकार होती परिकल्पना - एक परमार्थिक विवरण<div align="justify"><strong><span style="color:#ffffff;">भारत के मध्य में स्थित जबलपुर का ऐतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक एवं </span></strong><a href="http://2.bp.blogspot.com/_SxOT3xY8r3E/S0OGcdyrVJI/AAAAAAAABOA/AydH6siXPlk/s1600-h/a+k+rai.jpg"></a><strong><span style="color:#ffffff;">साहित्यिक महत्व तो अद्भुत है परंतु प्रचार, प्रसार और जागरूकता के अभाव में वह प्रसिद्धि नहीं मिल पाई जो आज दिल्ली, नालंदा, इलाहाबाद अथवा वाराणासी जैसे शहरों के खाते में गई है त्रिपुरारि की युद्ध-स्थली, शिशुपाल की राजधानी , ओशो और महर्षि महेश योगी की नगरी, "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी है" अमर कविता की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान और व्यंग्य विधा के जनक हरिशंकर परसाई की <span class=""><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhE-KTuroEFsEoVXKAgDwXT50iVLAg512kGqKaGIivLf6XWUAa3BLUQKzAjOAjLuPKaMVeqVSlGdmsZ2gl0m3BoOx2G8MEsySWhDcuMQG39vw7-YzRdP-7HcmnXposew-AxFPWRFiGMZjc/s1600-h/Image0918.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5423993647601637986" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhE-KTuroEFsEoVXKAgDwXT50iVLAg512kGqKaGIivLf6XWUAa3BLUQKzAjOAjLuPKaMVeqVSlGdmsZ2gl0m3BoOx2G8MEsySWhDcuMQG39vw7-YzRdP-7HcmnXposew-AxFPWRFiGMZjc/s320/Image0918.jpg" border="0" /></a>कर्मभूमि</span> "जबलपुर" से आज लोग भले ही अनभिज्ञ हों परंतु राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर उपरोक्त नाम किसी प्रसिद्धि के मोहताज़ नहीं हैं. आज का जबलपुर पूर्व का 'गोंडवाना', उसके पूर्व कल्चुरियों की राजधानी 'त्रिपुरी' है। महाभारत </span></strong><a href="http://2.bp.blogspot.com/_SxOT3xY8r3E/S0OHQnii2qI/AAAAAAAABOI/vnq-_Yc9ns0/s1600-h/gosthapit+shivling.jpg"></a><strong><span style="color:#ffffff;">कालीन शिशुपाल का 'चेदि राज्य' और पृथ्वीराज चौहान का 'ननिहाल' भी है. वर्तमान के ज्ञात इतिहास में कल्चुरी कालीन शासकों ने जो वैभव, ख्याति, सम्मान और महत्व प्राप्त किया है वह स्वर्णाक्षरी इतिहास ही नहीं शासन-प्रशासन का भी मानक बन गया है. प्रशासनिक व्यवस्थाओं ने जहाँ कल्चुरी राज्य को विस्तारित किया वहीं धार्मिक आस्था के चलते अनेक महत्व्पूर्ण धर्म स्थलों और मूर्तिकला को नये आयाम दिए जिसके उदाहरण आज भी इस क्षेत्र में विद्यमान हैं. वर्तमान जबलपुर के आसपास या यूँ कहें कि कल्चुरियों की राजधानी त्रिपुरी के भग्नावशेष, प्राचीन मूर्तियाँ, प्राचीनतम सिक्के, शिलालेख एवं अव्यवस्थित-खंडित स्थलों का वैभव आज भी अनुभव किया जा सकता है।<br /></span></strong><a href="http://2.bp.blogspot.com/_SxOT3xY8r3E/S0OJQ2BZY7I/AAAAAAAABOQ/6sr9OmBQH_k/s1600-h/asht+bhuji+durga.jpg"></a><a href="http://3.bp.blogspot.com/_SxOT3xY8r3E/S0OJRQ7MEuI/AAAAAAAABOY/Hq9n6DkG7ks/s1600-h/shani+dev.jpg"></a><br /><strong><span style="color:#ffffff;">आज जब संपूर्ण मानव समाज भौतिकता की अंधी दौड़ में शामिल हो चुका हो, ऐसे में हमारे इतिहास की खोज-खबर तो दूर की बात है, स्मरण करना भी कोई अपना नैतिक दायित्व नहीं <span class=""><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicdgYLUSGo-rU1O9O0XruztEqZOn-AR3tr5chT9XlJxQ1Z9QH1np5ELhsOL4HoWf91o_2ni7yoKM1DLkrPGtzx9L6Vz9R-A0ymUaZ-FQLXqNaE3yRZG_CYna8vzT5krHyzJifagckStAw/s1600-h/gosthapit+shivling.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5423993328538996146" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 234px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicdgYLUSGo-rU1O9O0XruztEqZOn-AR3tr5chT9XlJxQ1Z9QH1np5ELhsOL4HoWf91o_2ni7yoKM1DLkrPGtzx9L6Vz9R-A0ymUaZ-FQLXqNaE3yRZG_CYna8vzT5krHyzJifagckStAw/s320/gosthapit+shivling.jpg" border="0" /></a>समझता</span> परंतु आज भी कुछ लोग हैं जिनके जेहन में अपने समाज, अपने पूर्वजों और अपने इतिहास को अक्षुण्य बनाने की समर्पण भावना हिलोरें ले रहीं हैं. इन में से हम एक नाम बड़े गर्व के साथ ले सकते हैं वह नाम है एक इंजीनियर का- जिन्हें धर्म से लगाव है, इतिहास से जुड़ाव है और बेहद रूचि है अध्यात्म और वेद पुराणों से । गहन अध्ययन और खोजी प्रवृत्ति के चलते आज वे हमारे सामने ऐसे-ऐसे प्रामाणिक और तार्किक तथ्य प्रस्तुत करने में संलग्न हैं जो पुरातत्वविदों और जानकारों को नये सिरे से सोचने पर मजबूर कर रहे हैं. ऐसे व्यक्तित्व का नाम है इंजीनियर अशोक राय. जी हाँ, मध्य प्रदेश जबलपुर निवासी श्री अशोक "आनंद" ने अपनी सठोत्तरी आयु को कभी बाधक नहीं माना. वे अपनी सक्रियता से नव युवकों को भी मात देने का ज़ज़्बा रखते है.<br /></span></strong><a href="http://3.bp.blogspot.com/_SxOT3xY8r3E/S0OJRlpf49I/AAAAAAAABOg/pQHoRiUxL24/s1600-h/shivling+shrinkhla.jpg"></a><a href="http://1.bp.blogspot.com/_SxOT3xY8r3E/S0TEVKyyviI/AAAAAAAABO4/oN0AvDN6h0w/s1600-h/Image0889.jpg"></a><br /><strong><span style="color:#ffffff;">कल्चुरियों की राजधानी त्रिपुरी और इसके समीप विस्तारित वैभव से प्रभावित श्री राय ने जबलपुर के आसपास फैले कल्चुरी क्षेत्र की कल्पना "कल्चुरी तीर्थ" के रूप में की एवं इस दिशा में वे कार्य भी प्रारंभ कर चुके हैं. जबलपुर से पश्चिम में करीब २१ किलोमीटर दूर राष्ट्रीय मार्ग-12 पर शहपुरा-भिटोनी के पहले हीरापुर बँधा में पुण्य सलिला नर्मदा के किनारे धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं मानव सेवा से जुड़ा एक विशाल स्थल "श्री राजराजेश्वर रिद्धि सिद्धि सिद्ध पीठ" विकसित किया जा रहा है जो "कल्चुरी तीर्थ" को मूर्तरूप प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा. हीरापुर बँधा के निकट नर्मदा नदी के किनारे विकसित किए जा रहे इस बहुआयामी स्थल पर वर्तमान में दुष्प्रभावहीन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में प्रयास जारी हैं. यहाँ निःशुक्ल/न्यूनतम शुल्क में वे सारी सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी जो एक आम इंसान के लिए आज की महँगाई के चलते संभव नहीं है । यहीं पर वृद्ध और असहाय जनों के लिए सेवा केंद्र भी बनाने की योजना है जिससे यथार्थ में मानव मंदिर का सपना पूरा हो सकेगा । लौह धातु के ग्रह कोप नाशक शनि देव, वंश वृद्धि, संतानोत्पत्ति एवं सुख- शांति की कामना पूर्ण करने वाले प्राचीन सिद्धेश्वर एवं इसी मंडप में वांछित फल दायी गोस्थापित दुर्लभ शिव लिंग के भी दर्शन सुलभ हैं । यहाँ पर किए जा रहे वृक्षारोपण से पर्यावरण संतुलन एवं औषधि उपलब्धता को भी सार्थकता प्राप्त होगी. इसी परिसर में नव दुर्गा के नौ गुफा-मंडप बनाए गये हैं जहा साधक एकांतवास कर अपनी साधना सम्पन्न कर सकते हैं. यहाँ पर सिद्धेश्वर और गोस्थापित शिवलिंग से मनोकामना हेतु अर्पित नारियल को बाँधने हेतु "मन्नत का वृक्ष " भी है , जहाँ नारियल के भीतर घी और शक्कर भर कर बाँधने से माँगी गई मन्नतें अवश्य पूर्ण होती हैं।<br /></span></strong><a href="http://4.bp.blogspot.com/_SxOT3xY8r3E/S0OKjY2djPI/AAAAAAAABOo/8aeOjoIZzao/s1600-h/view+of+manav+mandir.jpg"></a><br /><strong><span style="color:#ffffff;">मेरी दृष्टि में श्री अशोक "आनंद" के इन सद्प्रयासों में सहभागिता करना हर सच्चे इंसान का कर्तव्य होना चाहिए और शायद इसी सोच के कारण आज उनसे जुड़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. कल अशोक 'आनंद' जी द्वारा एक प्रयास शुरू किया गया था , आज उसे साकार करने लोग जुट और जुड़ रहे हैं. मुझे तो विश्वास है कि निकट भविष्य में हम स्वयं और हमारी संतानें उसके सुफल चखेंगी. उसका सार्थक स्वरूप देखना हमारी प्राथमिकता है ऐसा इस अभियान से जुड़ने वाला हर सदस्य मानता है. श्री अशोक "आनंद" एवं उपरोक्त उद्देश्यपूर्ति हेतु कर्तव्यरत महामनाओं को मेरी शुभकामनाएँ।</span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh6daEe41Y476yYyEsbdp9X2hEMCJFI9B79TjXgTSRd7DfhgvjUGwOexGn2cZ__5jTQ3PKC_w_vYSUQmS9rlGd-0lU9jNzUbif6h2PM6DZXui-sfNO9UVfBzgqAa2JDKyoGdAeKKAdjs38/s1600-h/vijay+tiwari+kislay.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5424000050171828546" style="WIDTH: 126px; CURSOR: hand; HEIGHT: 150px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh6daEe41Y476yYyEsbdp9X2hEMCJFI9B79TjXgTSRd7DfhgvjUGwOexGn2cZ__5jTQ3PKC_w_vYSUQmS9rlGd-0lU9jNzUbif6h2PM6DZXui-sfNO9UVfBzgqAa2JDKyoGdAeKKAdjs38/s200/vijay+tiwari+kislay.jpg" border="0" /></a>- विजय तिवारी " किसलय<br /></div></span></strong>MANAVhttp://www.blogger.com/profile/03302053912593377054noreply@blogger.com10